चैन्नई:- 3 अक्टूबर श्री सीरवी समाज सेवा संघ रामापुरम में शारदीय नवरात्र के चौथे दिन माँ दुर्गा के चौथे स्वरूप माँ कूष्मांडा कि पूजा अर्चना बड़े ही धूमधाम से की।
माना जाता हैं की आठ हाथों से प्रकट हुई, माँ कूष्मांडा ने अपनी दिव्य मुस्कान के द्वारा ब्रह्माण्ड का निर्माण किया। माना जाता हैं कि जब ब्राह्माण्ड में कुछ भी नहीं था और यह एक अंधकारमय था, माँ कूष्मांडा मुस्करायी जिससे पूरा ब्रह्माण्ड प्रकाशमय हो गया। इस शक्ति के साथ माना गया कि वह सुर्य से उत्पन्न हुई हैं।
श्री व्यासपीठ कथावाचक मनीष भाई ओझा जी ने माँ कि महिमा का सुन्दर वर्णन करते हुए कहा की-
*माँ के चरणों में रखों आस्था,*
*अँधेरे में भी दिखेगा रास्ता!*
साथ ही नानीबाई रो मायरो कि कथा में अजाण नगरी में शादी कि पत्रिका के बारे में भी खूब बताया व अन्त में ठाकुरजी कि आरती कर नवरात्र के इस चौथे दिन को अलविदा कहा । चौथे दिन कि आरती व महाप्रसादी के लाभार्थी श्री पितृ देवता मालारामजी पंवार के परिवार (गाँव-सींगला,बैरा नौकड़ा ) वाले रहे
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माधुसिंह सीरवी लेरचा
प्रतिनिधि- सीरवी समाज सम्पूर्ण भारत डाॅट काॅम.