मैसुरु। शहर के सीरवी समाज के केआरएस रोड़ स्थित आईमाता मन्दिर परिसर में मंगलवार को नवरात्री के तीसरे दिन संतश्री रमनरामजी ने मां चंद्रघंटा की कथा बताते हुए कहा कि मां चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत सौम्यता एवं शांति से परिपूर्ण है. मां चंद्रघंटा और इनकी सवारी शेर दोनों का शरीर सोने की तरह चमकीला है. दसों हाथों में कमल और कमडंल के अलावा अस्त-शस्त्र हैं. माथे पर बना आधा चांद इनकी पहचान है. इस अर्ध चांद की वजह के इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है. अपने वाहन सिंह पर सवार मां का यह स्वरुप युद्ध व दुष्टों का नाश करने के लिए तत्पर रहता है। प्रवचन से पूर्व महिला मंडल द्वारा गरबा-डांडिया रास तथा नन्हे मुन्हे बच्चों के लिए कही कार्यक्रम हुए जिसमें नन्हे बच्चों के लिए रंगारंग कार्यक्रम हुए। राजस्थानी और भक्ति गीतों पर नटखट अदाएं दिखाते हुए उन्होंने ठुमके लगाए। नन्हों की अदाएं देख वहां मौजूद लोग भी खिलखिला उठे। इस मोके समाज के बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे।