मध्यप्रदेश/ कुक्षी- मां चंद्रघंटा का मंत्र
पिण्डजप्रवरारूढ़ा चण्डकोपास्त्रकेर्युता।
प्रसादं तनुते मह्यं चंद्रघण्टेति विश्रुता॥
मां चंद्रघंटा का स्वरूप अत्यंत सौम्यता एवं शांति से परिपूर्ण है। मां चंद्रघंटा और इनकी सवारी शेर दोनों का शरीर सोने की तरह चमकीला है, दसों हाथों में कमल और कमडंल के अलावा अस्त-शस्त्र हैं, माथे पर बना आधा चांद इनकी पहचान है, इस अर्ध चांद की वजह के इन्हें चंद्रघंटा कहा जाता है। अपने वाहन सिंह पर सवार मां का यह स्वरुप युद्ध व दुष्टों का नाश करने के लिए तत्पर रहता है। चंद्रघंटा को स्वर की देवी भी कहा जाता है।
नवरात्री के तीसरे दिन मुख्य यजमान – सुनील श्री गोमाजी सिद्ध व मातृशक्ति मण्डल – श्री आईजी महिला भजन कीर्तन मण्डल, कुक्षी ने माँ नवदुर्गा के तीसरे स्वरूप चन्द्रघण्टा की पूजा अर्चना की व महाआरती-महाप्रसादी का पुण्य लाभ अर्जित किया
आज की महाआरती व महाप्रसादी के लाभार्थी –
श्री आईजी महिला भजन कीर्तन मण्डल, कुक्षी को प्राप्त हुआ,जिसमें मातारानी के सभी श्रद्धालुओ माता-बहनो, बन्धुओ, मित्रो ने महाआरती व महाप्रसादी का पुण्यमयी लाभ लिया
महाआरती-महाप्रसादी प्रतिदिन रात्रि – 08 बजे से
स्थान : श्री आईमाताजी बडेर, कुक्षी, श्री क्षत्रिय सिर्वी समाज सकल पंच समिति,कुक्षी
श्री नवदुर्गा उत्सव समिति, कुक्षी