श्री आईमाताजी के परमभक्त, वचन सिद्ध, सादगी की प्रतिमूर्ति, समर्पित जननायक, निर्विकार व्यक्तित्व, सरल सौम्य स्वभाव, स्पष्टवादिता के प्रबल पक्षधर, अमृत वर्षा करने वाली मधुसिक्त वाणी तथा विलक्षण प्रतिभा के धनी आईपंथ के वर्तमान धर्मगुरु परम पूजनीय प्रातः वंदनीय श्री माधवसिंहजी दीवान साहब का जन्म दिनांक 18 जनवरी 1943 को दीवान साहब श्रीमान हरिसिंहजी के घर धर्मपरायण माता श्री माजीसा राजकुंवर झालीजी की कोख से हुआ था। बाल्यकाल में ही अपने पिता दीवान श्री हरिसिंहजी के आकस्मिक निधन के कारण 4 वर्ष की अल्पायु में ही आपको आश्विन सुदी 3 विक्रम संवत् 2003 को ‘दीवान’ पद पर आसीन होना पड़ा । इस तरह से पांच सौ वर्ष पूर्व श्री आईमाताजी द्वारा प्रवर्तित आई पंथ की दीवार परम्परा की कड़ी में 19 वें दीवान के रूप में आपका नाम भी जुड़ गया । आपकी प्रारंभिक शिक्षा आपके माताजी की देखरेख में बिलाड़ा के स्थानीय विद्यालय में हुई। आपने उच्च शिक्षा ग्रहण करने के लिए सन् 1958 ई. में मेयो कॉलेज, अजमेर में प्रवेश लिया। आप बाल्यकाल से ही अत्यंत प्रतिभाशाली थे। अपनी विलक्षण प्रतिभा का परिचय देते हुए आपने सन् 1963 में आपने बिरला इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, पिलानी से अभियांत्रिक में स्नातक की उपाधि (बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग, यांत्रिक शाखा) प्रथम श्रेणी में हासिल की । तदंतर इसी विषय में विशेष तकनीकी ज्ञान अर्जित करने के लिए आपने जापान में अध्ययन किया और वहां से ही मास्टर ऑफ इंजीनियरिंग में स्नातकोत्तर की उपाधि हासिल कर स्वदेश लौटे। आपका विवाह 22 वर्ष की आयु में दिनांक 15 फरवरी 1965 को मध्य प्रदेश के मुकसुदनगढ़ की राजकुमारी देवेंद्रकुमारीजी के साथ हुआ । सफल दाम्पत्य जीवन जीते हुए आप दो पुत्रों को दो पुत्रियों के पिताश्री बने । राजशाही के गौरवशाली जीवन की सुखद छत्रछाया में पले-बढ़े दीवान साहब श्री माधवसिंहजी ने समय की नजाकत को समझते हुए रियासतों के एकीकरण का सम्मान करते हुए राजशाही से लोकतंत्र की ओर दृढ़तापूर्वक कदम बढ़ाया । सामाजिक सुधार हेतु आपने सन् 1971 में ‘सीरवी महासभा’ की स्थापना की । आपने अपने राजनीतिक जीवन की शुरुआत सन् 1971 में स्वतंत्र पार्टी के बैनर तले पाली लोकसभा का चुनाव लड़कर की । लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली । इसके बाद आप कांग्रेस में शामिल हो गए और आपने सोजत विधानसभा क्षेत्र से सन् 1977, 1980, 1985, 1993 और 1998 में लगातार पांच बार रिकॉर्ड मतों से चुनाव जीता और राजस्थान विधानसभा में सोजत विधानसभा क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया । राजनीतिक क्षेत्र में आपने अनेक महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया,
सन् 1977 से 1980 तक राजस्थान विधानसभा के सदस्य ।
सन् 1983 से 1985 तक सभापति-जनलेखा समिति, राजस्थान सरकार ।
सन् 1988 से 1990 तक राजस्थान सरकार में अकाल राहत, मरू विकास, पर्यावरण, चिकित्सा एवं स्वास्थ्य, वन, विशिष्ट योजना संगठन व इंदिरा गांधी नहर परियोजना मंत्री रहे।
सन् 1990 से 1992 तक शीर्ष वित्त समिति राजस्थान सरकार के सदस्य ।
सन् 1991 से 1993 तक राजकीय उपक्रम सुधार समिति राजस्थान सरकार के सदस्य ।
7 मार्च 1994 से 30 सितंबर 1994 तक राजस्थान आवास मंडल के कार्यकलापों की जांच समिति के सदस्य ।
सन् 1994 से 1995 तक अधीनस्थ विधान सम्बंधी गृह समिति के सदस्य ।
सन् 2001 से 2002 तक राजस्थान प्रदेश कांग्रेस के वरिष्ठ उपाध्यक्ष रहे ।
आप राजस्थान सरकार में चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्रालय के काबीना मंत्री के पद पर भी आसीन रहे ।
आप आईमाताजी के परम भक्त हैं और आई पंथ को मानने वाले समस्त आईपंथानुयायियों के लिए परम पूजनीय एवं प्रातः वंदनीय हैं। आप सत्यनिष्ठ, कर्तव्यपरायण, उदारमना एवं स्पष्टवादी है । आप के मुख पर हमेशा आत्मविश्वास व मुस्कुराहट का भाव झलकता रहता है । आप अपने जीवन में घटने वाली हर घटना को ईश्वरीय इच्छा मानकर सहज ही स्वीकार करते हैं और जीवन में यश-अपयश, मान-सम्मान, सुख-दुख, अनुकूल-प्रतिकूल हर परिस्थिति को श्री आईमाताजी की मर्जी मानते हैं । दुख से पीड़ित इंसान की मदद करने के लिए आप सदैव आगे रहते हैं । आईमाताजी के भक्त दीवान साहब में माताजी का प्रतिरूप देखते हैं और उनकी वाणी के फलीभूत होने में अटूट विश्वास रखते हैं ।
आपने अपनी धर्मपत्नी श्रीमती देवेंद्रकुमारीजी की आकस्मिक देहावसान के पश्चात अपना जीवन पूर्ण रुप से जनसेवा, समाजसेवा और धर्मापदेश के लिए समर्पित कर दिया। आपका व्यक्तित्व अपनी ईमानदार, निष्कलंक एवं उज्जवल छवि की एक ज्वलंत विशाल है। वैचारिक संकीर्णता से कोसों दूर रहने वाले दीवान साहब श्री माधवसिंहजी ने राजनीति के साथ ही धार्मिक एवं आध्यात्मिक क्षेत्र में भी अपनी विशिष्ट छाप छोड़ी है । आई पंथ के दीवान के रूप में आपने अब तक राजस्थान तथा देश के अन्य प्रमुख नगरों में श्री आईमाताजी के सैकड़ों मंदिरों की प्राण-प्रतिष्ठा अपने कर-कमलों से की है । आप धार्मिक आयोजनों में अपने प्रवचन में समाज के लोगों को श्री आईजी की बेल के नियमों का पालन करने, चार प्रमुख बीज पर्वों के अवसर पर आईमाताजी के धर्मरथ (भैल) व मंदिर में जाकर माताजी के दर्शन करने, घर में बड़े-बुजुर्गों का आदर व उनकी सेवा करने, घर में धार्मिक वातावरण बनाए रखने तथा बच्चों को अच्छी शिक्षा व संस्कार देने पर विशेष रूप से बल देते हैं । आप श्री के दर्शन हेतु श्री समाज के लोग हर पल लालायित रहते हैं । महान प्रेरणादायी व्यक्तित्व के धनी परमपूज्य धर्मगुरु दीवान श्री माधवसिंहजी पर आईपंथ के अनुयायियों को अत्यंत गर्व हैं ।
जिला भाजपा मंत्री स्वर्गीय श्री मोतीसिंहजी परिहार
किसी विद्वान ने कहा है। तेजस्वी सम्मान खोजते, नही गौत्र बतला के । पाते हैं जग में प्रशस्ति, अपना करतब दिखला के । हीनमुल की ओर देख, जग गलत कहे या ठीक । कर्मवीर खींचकर ही रहते हैं, इतिहासों में लीक। सच ही है कुछ ऐसे मानव रत्न बिरले होते हैं जो स्वयं तो दुनिया से चले जाते हैं मगर उनके नाम व यश की गौरव गाथा भावी सन्तति के लिए भी आदर्श बन जाती है ऐसे ही यशस्वी रत्नों की सूची में एक नाम आता है श्री मोतीसिंहजी परिहार बिलाड़ा का। साधारण किसान परिवार में श्री चौथारामजी परिहार के घर हस्ती बाई की कोख से दिनांक 01.08.1926 को जन्मे श्री मोतीसिंहजी परिहार ने सन 1944 में 7वीं बोर्ड परीक्षा उत्तीर्ण की । आप बाल्यकाल से ही सेवाभावी थे । आपने 3 वर्ष तक राज्यकीय सेवा में पशु सहायक के रूप में कार्य किया । बिलाड़ा में सर्वप्रथम साइकिल का व्यवसाय आपने ही प्रारंभ किया । दीपक की रोशनी अर्थात् भारतीय जनसंघ के कार्यकर्ता के रूप में आपने राजनीति क्षेत्र में प्रवेश किया । जीवन में अनेक उतार-चढ़ाव आये । आर्थिक स्थिति डावाडोल भी हुई लेकिन पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा । हर परिस्थिति में सदैव मुस्कुराते हुए हर बाधा का सामना करते हुए निरंतर आगे बढ़ते रहे । आपका विवाह श्रीमती तीजाबाई के संग हुआ। आपके एक पुत्र दलपत परिहार और तीन पुत्रियां कुंती, मुन्नी, सुमित्रा है । राजनीति में उच्च पायदान पर आप सन 1961 से 1964 तक ग्राम पंचायत बिलाड़ा के तीसरे सरपंच रहे । सरपंच रहते हुये आपने बिलाड़ा में आर्दश कालोनी व बालिका विद्यालय का निर्माण । बढेर चौक मे कमल रूपी अमर हुत्तात्मा स्मारक,किसान पार्क, पंचायत भवन का उद्घाटन, पुराना किला ध्वस्त कर आवासीय उपयोग हेतु सुभाष कॉलोनी का निर्माण, भाटों की ढीमड़ी का आवासीय उपयोग व बिलाड़ा नगर प्रवेश का चौथा सड़क मार्ग (बडेर चौक से नाथद्वारा मन्दिर तक), बिलाड़ा में पीने के पानी के स्त्रोतों (खारड़ा व रतन कुआ का पुननिर्माण) का निर्माण व बिलाड़ा के मध्य मोती चौक का निर्माण करवाकर विकास के पर्याय बने ।
बिलाड़ा क्षेत्र में भारतीय जनसंघ की स्थापना व प्रचार में प्रमुख भूमिका निभाने वाले श्री परिहार ने बाद में भारतीय जनता पार्टी के सक्रिय कार्यकर्ता से कार्य करते हुए प्रदेश स्तर पर अपनी पहचान बनाई और बिलाड़ा क्षेत्र में भाजपा के पितामह के रूप में ख्याति पाई । जोधपुर जिला भाजपा के आप दो बार मंत्री भी रहे । आपने जैतारण विधानसभा क्षेत्र से जनसंघ के उम्मीदवार तथा बिलाड़ा विधानसभा क्षेत्र से निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा । आप प्रदेश भाजपा कमेटी के सदस्य भी रहे । सन् 1990 से 1995 तक श्री परिहार बिलाड़ा नगरपालिका के अध्यक्ष भी रहे । नगरपालिका के अध्यक्ष पद पर रहते हुए आपने श्री आईजी महिला चिकित्सालय के निर्माण में महत्ती भुमिका निभाई तथा इसके भूखण्ड हेतु सर्वोच्च न्यायालय तक संघर्ष किया और भूखण्ड बिलाड़ा नगर को समर्पित किया । बिलाड़ा के सभी वार्डो में सड़को व नालियों के निर्माण के साथ नगर पालिका भवन का भी निर्माण करवाया ।तथा तालाब को काटकर स्टेडियम का निर्माण करवाया।जिसका नामकरण उपराष्टृपति भैरोसिहंशेखावत द्वारा किया गया। कुशल संगठनकर्ता, स्पष्ट व प्रखर वक्ता श्री परिहार बिलाड़ा वृहत बहुधन्धी सहकारी समिति के संचालक मण्डल के सदस्य, अखिल भारतीय सीरवी महासभा के महामन्त्री, व महासभा के उपाध्यक्ष, सीरवी शिक्षा समिति बिलाड़ा के अध्यक्ष 28.08.94 से 30.08.97 तक, सीरवी समाज परगना समिति बिलाड़ा के दस वर्ष तक सचिव, सीरवी बडेरवास के 1985 से 2002 तक माननीय पंच, बिलाड़ा परगना सीरवी छात्रावास के सचिव भी रहे । आपने अपनी माताश्री का स्मृति में बडेरवास पंचायत भवन बिलाड़ा में एक कमरे का निर्माण करवाया तथा निर्माण कार्य में महत्वपूर्ण योगदान भी दिया ।
ढलती उम्र में भी युवाओं जैसी फुर्ती रखने वाले श्री परिहार शिक्षा व सामाजिक क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्यो के लिए सदैव स्मरणीय रहेंगे । आपने सामजिक बुराईयों के उन्मूलन व सामन्तवादी परम्परा के विरुद्ध सदैव संघर्ष किया । महान व्यक्तित्व के धनी सीरवी समाज के यशस्वी लाल श्री परिहार एक वर्ष की लम्बी बीमारी से संघर्ष करते हुये दिनांक 02.12.2001 को 75 वर्ष की आयु में इस दुनिया से हमेशा हमेशा के लिए विदा हो गये और समाज मे ऐसी रिक्तता छोड़ गये, जो कभी पुरी न हो पायेगी । बिलाड़ा की जनता आपके द्वारा करवाए गये विकास कार्यो के लिए आपकी सदैव ऋणी रहेगी । सीरवी समाज आपको प्रकाश स्तम्भ मानकर आपके महान व्यक्तित्व से सदैव प्रेरणा लेता रहेगा ।